फूलों से सुंदर नहीं तो क्या ,
मिट्टी के ही बच्चे हैं ,
सांस देते हम ही हैं |
धूप लेते , पोशण देते
फिर क्यों नहीं मिलती हमें पहचान ,
पत्ते हैं तो क्या , हम भी हैं ||
लहरों से मनचले नहीं तो क्या ,
समुंद्र का ठहराव हम ही तो हैं |
धूप जहाँ तुम हो सेंकते ,
पैरों की छाप लिए , किले जहाँ बनाते हो ,
बनाते क्यों नहीं हमें भी अपने गीत का भाग ,
रेत हैं तो क्या , हम भी हैं ||
झरनों से तेज़ नहीं तो क्या ,
सालो से झेलें हैं उनका दवाब ,
उनके प्रकोप पर तुम्हारी पकड़,
हम ही तो है |
लेलो सेल्फी हमारे भी साथ ,
पत्थर हैं तो क्या, हम भी है ||
आबादी में ज़्यादा नहीं तो क्या ,
टैक्स तो हम ही भरते है ,
फिर भी रहते हैं चुपचाप ,
करते नहीं कोई फसाद |
हमारी भलाई भी सोचें जनाब ,
नौकरीपेशा हैं तो क्या , हम भी है ||
Embrace the ordinary ,
&
Thanks for reading !!
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